अधिकांस लोग यह मानते है की अम्लपित्त मात्र शारिरीक समस्या हैं परंतु शोध के द्वारा यह प्रामाणिक होता है की यह एक् मनो-शारीरिक व्याधि हैं वस्तुतः पाचन क्रिया की विकृति अम्लपित्त का मूलकारण होती है I अम्लीय पदार्थों का निरन्तर सेवन विशेष रूप से विपरीत गुण धर्म वाले पदार्थों कृत्रिम उपकरणों के द्वारा लम्बें समय तक संछिप्त किये गये पदार्थो अधपके तथा तले भुने पदार्थो रुक्ष अथवा अत्यंत स्निग्ध पदार्थों का सेवन दिन में सयन करना तथा भोजन के बाद स्नान धूम्रपान मादिरापान इत्यादी अम्लपित्त के उत्पन्न होने के प्रमुख कारण होते है I अम्लपित्त के फल स्वरुप शरीर में विभिन्न अवय्वो में जलन तथा माथे पर तपन का अनुभव होता है अम्लपित्त बढती हुई सीमा के साथ ही जलन में भी वृद्धि होती है सिरदर्द के साथ कभी कभी उल्टी भी हो जाती है उल्टी होने पर पित्त के बाहर आ जाने से रोगी को आराम मिल जाता है I अम्लपित्त की निरन्तरता के कारण रोगी हंसमुख तथा मृदु स्वभाव का होने पर भी बहुधा क्रोधी तथा चिडचिडा हो जाता है ,उसे थकान का अनुभव तथा चक्कर आने लगता है ,नींद की कमी आ जाती है बिचित्र प्रकार के सपने दिखने लगते है , किसी अज्ञात भय के कारण रोगी मानसिक रूप से दुखी तथा बेचैन हो जाता है ,वह अपने मित्रों स्नेही जनों के प्रति शंका-कुसंकाए करने लगता है अनेक प्रकार की शंकाए मस्तिष्क को नकारत्मक रूप से प्रभावित होने लगती है I
इसके पूर्व की रोगी इस अवस्था तक पहुचे इसके निदान की त्वरित आवश्यकता होती है उचित समय पर उपचार न होने पर यह व्याधि भयंकर रूप लेने लगती है अम्लपित्त के अनियंत्रित हो जाने पर उदर में अल्सर का रूप ले लेता है लगातार ऐसी अवस्था में पीड़ित रहते हुए रोगी निराश व गुमसुम सा रहने लगता है वह अपनी इस पीड़ा को किसी को बतलाने पर संकोच करने लगता हैI
जहाँ तक इस व्याधि के उपचार का प्रश्न है सर्वप्रथम रोगी को अपने खाने पिने की आदतों में बदलाव लाना होगा शुद्ध सादा सुपाच्य खाद पद्धार्थो का सेवन करना होगा भूख से कुछ कम भोजन करना उत्तम होगा सायंकाल में भोजन करना लाभप्रद होता है क्योकि उससे पाचन में पर्याप्त समय मिल जाता है व्याधि के प्रारंभिक लक्षण का पता चलते ही चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए I ऐसे रोगियो को अपनी सामान्य दिनचर्या में सम्मिलित करना चाहिए ;
- खाली पेट किशमिश व गुनगुना पानी से
- दोपहर व रात्री में भोजन के बाद आधी चम्मच सौफ चबा ले
- तीन घंटे के अंतराल से कुछ कुछ हल्का सुपाच्य खाद्य पदार्थ खाते रहे